🧠 क्या आज के युवा में सब्र की कमी है?

प्रतीकात्मक  चित्र  

तेजी से बदलती दुनिया में धैर्य की गिरती कीमत?

"इंस्टा पर रील नहीं चली तो अगले मिनट डिलीट,
लाइफ में कुछ न हुआ तो अगले दिन डिप्रेशन"
--- आज की पीढ़ी का मन शायद बहुत तेज़ है, पर क्या मज़बूत भी है?

📲 जब सब कुछ 'अब और तुरंत' चाहिए

आज का युवा तेज़ है, टेक-सेवी है, और अवसरों से भरा हुआ है।
मगर यही तेज़ी कभी-कभी धैर्य की कमी में बदलती दिखती है।

  • नेटफ्लिक्स में स्किप इंट्रो,
  • फूड ऐप पर लाइव ट्रैकिंग,
  • रिलेशनशिप में भी 'नेक्स्ट प्लीज़'...

सब कुछ तुरंत पाने की आदत ने उन्हें प्रोसेस की बजाय रिवॉर्ड पर फोकस करना सिखाया है।

🧘‍♀️ मगर क्या ये पूरी सच्चाई है?

कुछ लोग मानते हैं कि आज के युवा में सब्र की नहीं, परिस्थितियों की कमी है।

  • उन्हें हर तरफ़ कॉम्पटीशन मिला है
  • जॉब मार्केट में अनिश्चितता है
  • सोशल मीडिया पर परफेक्ट लाइफ का प्रेशर है
  • और परिवार से लेकर समाज तक, 'तू ही कुछ कर दिखा' वाली उम्मीदें

इन सबके बीच वो अगर बेसब्र हो भी रहे हैं, तो क्या वो दोषी हैं या शिकार?

🧑‍💻 युवा क्या कह रहे हैं?

हमने कुछ युवाओं से बात की ---

अनुजा (22, दिल्ली):

"हमारी पीढ़ी सिर्फ रिजल्ट नहीं, तेजी से रिजल्ट चाहती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम मेहनत से भागते हैं।"

राहुल (28, पुणे):

"हर चीज़ जल्दी पाने की चाहत हमें अधीर बनाती है, लेकिन यही फोकस भी देती है -- बस संतुलन चाहिए।"

श्रुति (25, भोपाल):

"हम असहाय नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी वक्त की मांग हमें सब्र से दूर ले जाती है।"

🔍 तो क्या करें?

अगर आज का युवा बेसब्र हो रहा है, तो इसके पीछे सिर्फ उनका 'नेचर' नहीं, हमारा 'नेचर' भी है।
समाज को चाहिए कि वो उन्हें स्पेस दे, सुनें, समझें -- ना कि सिर्फ जज करें।

🔔 आपकी राय क्या है?

क्या आपको लगता है कि आज की पीढ़ी धैर्यहीन हो गई है?
या वे परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढाल रहे हैं?

© 2025 Global Indians Foundation | सभी अधिकार सुरक्षित

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ