क्या सचमुच स्किल सेंटर से बदली युवाओं की किस्मत:या सिर्फ़ आंकड़ों का खेल?

प्रतीकात्मक चित्र

 📌 दावा:

भारत में स्किल डेवेलपमेंट सेंटरों ने करोड़ों युवाओं को ट्रेन किया है और उन्हें रोजगार के लायक बनाया है।

🔍 हकीकत क्या है?

सच्चाई ये है कि बड़ी संख्या में छात्रों को सिर्फ सर्टिफिकेट मिले, स्किल नहीं। कई सेंटरों ने सरकार से अनुदान लेने के लिए फर्जी आँकड़े दिखाए, ट्रेनिंग अधूरी छोड़ दी गई, और छात्रों को तैयार किए बिना "ट्रेंड" घोषित कर दिया गया।

🎯 स्किल या सिर्फ स्कीम?

सरकारी योजनाएं जैसे:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
  • स्किल इंडिया मिशन

का मकसद था --- युवाओं को रोजगार के लायक बनाना। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है:

  • ट्रेनिंग सेंटरों ने कागज़ी ट्रेनिंग दी
  • कुछ छात्रों ने क्लास तक अटेंड नहीं की, फिर भी उन्हें सर्टिफिकेट मिल गया
  • सरकारी पोर्टल्स पर आँकड़े दिखाए गए कि "लक्ष्य पूरा हो गया"

👉 लेकिन सवाल ये है --- कितने युवाओं को वाकई रोजगार मिला?
👉 और कितनों ने सच में कोई स्किल सीखी?

📉 जब आंकड़े बनते हैं औजार

कई संस्थानों ने:

  • फर्जी नाम और आधार नंबर जोड़कर छात्र संख्या बढ़ाई गई
  • उपस्थिति रजिस्टर और ट्रेनिंग रिपोर्ट में हेराफेरी की गई
  • नौकरी पाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाकर बताई गई

सरकार ने लक्ष्य पूरे मानकर करोड़ों के फंड जारी कर दिए।

💣 साइड इफेक्ट: असली स्किल्ड युवाओं की पहचान भी धुंधली हुई

इस आंकड़ों की बाज़ीगरी ने उन छात्रों के साथ भी अन्याय किया जिन्होंने:

  • ईमानदारी से ट्रेनिंग ली
  • स्किल सीखी
  • रोजगार के लिए मेहनत की

लेकिन जब नियोक्ता ने देखा कि "इस कोर्स से आए अधिकतर छात्र अयोग्य हैं", तो उसने उस सेंटर या कोर्स को ही गंभीरता से लेना बंद कर दिया।

🧩 सच्चाई क्या कहती है?

पहलू प्रचार में ज़मीनी हकीकत
छात्रों की संख्या करोड़ों अधिकतर फर्जी या अधूरी ट्रेनिंग
रोजगार दर 70-80% ज़्यादातर बेरोजगार या असंगठित काम
ट्रेनिंग क्वालिटी वर्ल्ड क्लास आउटडेटेड या सतही
सेंटर की पारदर्शिता उच्च निरीक्षण की भारी कमी

✅ समाधान की दिशा में क्या किया जाए?

  1. रोजगार आधारित फंडिंग मॉडल -- सर्टिफिकेट पर नहीं, रोजगार परिणाम पर फंड मिले
  2. थर्ड पार्टी ऑडिट -- हर सेंटर की निगरानी बाहरी एजेंसी करे
  3. डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम -- छात्र की प्रगति पारदर्शी रूप से रिकॉर्ड हो
  4. फीडबैक सिस्टम -- छात्र और नियोक्ता दोनों से ईमानदार फीडबैक लिया जाए
  5. फर्जीवाड़े पर सख्त कार्यवाही -- दोषी संस्थानों की मान्यता रद्द की जाए

🎯 Final Verdict: Truth or Hype?

यह दावा कि "स्किल सेंटरों से करोड़ों छात्र कुशल बन चुके हैं",
👉 आधा सच और आधा भ्रम है。

✅ जहां कुछ अच्छे संस्थान सच में युवाओं को सक्षम बना रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में सेंटर केवल "सर्टिफिकेट फैक्ट्री" बन चुके हैं。
⚠️ बिना पारदर्शिता, क्वालिटी ट्रेनिंग और ईमानदार मूल्यांकन के, हम एक ऐसे स्किल इंडिया की तरफ जा रहे हैं जो नाम में कुशल है, काम में नहीं।

✍️ क्या आपने भी किसी स्किल सेंटर से ट्रेनिंग ली है? आपकी क्या राय है --- स्किल मिली या सिर्फ सर्टिफिकेट? नीचे कमेंट करके बताएं।

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