![]() |
Image: Afghanistan's Ministry of Foreign Affairs/AFP |
रूस की विदेश मंत्रालय ने काबुल स्थित अफगान तालीबानी राजदूत गुल हसन हसन की credentials स्वीकार कीं, जिससे रूस इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान को पहला प्रमुख देश बन गया जिसने तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता दी।
रूसी बयान -
मॉस्को ने बयान दिया कि यह कदम तालिबान के साथ सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी एवं मादक पदार्थों के व्यापार पर सहयोग को सुदृढ़ करेगा।
आर्थिक-सहयोग पहलें-
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा — ऊर्जा, परिवहन, कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में व्यापार व आर्थिक साझेदारी में वृद्धि के स्पष्ट अवसर मौजूद हैं।
पूर्व कूटनीतिक तैयारी-
अप्रैल 2025 में रूस की सुप्रीम कोर्ट द्वारा तालिबान को आतंकवादी सूची से हटाया गया, जिससे यह मान्यता का मार्ग पूर्व से ही प्रशस्त था।
रूसी परिप्रेक्ष्य
पुतिन और विदेश मंत्रालय ने तालिबान को आतंकवाद रोधी साझेदार बताया था, और यह कदम उनका "रणनीतिक" निर्णय है।
आलोचनात्मक प्रतिक्रिया
पश्चिमी सरकारों और मानवाधिकार संगठनों ने चेताया कि इससे तालिबान को महिलाओं व अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपने रुख को वैधता प्राप्त हो सकती है।
क्षेत्रीय राजनीति और SCO में असर
रूसी मान्यता से चीन, पाकिस्तान, यूएई और उज्बेकिस्तान जैसी अन्य देशों को भी तालिबान के साथ कूटनीतिक रूप से आगे बढ़ने का संकेत मिल सकता है।
भविष्य की दिशा
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तालिबान को SCO या BRICS जैसे मंचों में शामिल किया जाएगा, या अन्य प्रमुख देशों की भी मान्यता मिलती है।
दीर्घकालिक अनिश्चितता
हालांकि यह कदम तालिबान की अंतरराष्ट्रीय वैधता बढ़ाता है, लेकिन मानवाधिकार, महिलाओं की शिक्षा, न्याय व्यवस्था और लोकतांत्रिक अधिकारों के संदर्भ में व्यापक अस्थिरता बनी हुई है।
रूस ने 3 जुलाई को तालिबान को पहली बार औपचारिक मान्यता दी, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, कूटनीतिक रणनीति और आर्थिक अवसरों को ध्यान में रखते हुए एक निर्णायक कदम है। हालांकि, इस फैसले ने वैश्विक मानवाधिकार चिंताओं में वृद्धि कर दी है और अब यह देखना बाकी है कि अन्य शक्तियों की नीतियाँ कब और कैसी प्रतिक्रिया देंगी।
0 टिप्पणियाँ
The Wide Angle: आपकी भरोसेमंद हिंदी न्यूज़ और जानकारी स्रोत"