
📅 बैठक तिथि: 30 जून 2025 तिथि: 1 जुलाई 2025 | 🗂️ स्रोत: TOI, Navbharat Times, Money9, Live Hindustan, New Kerala
भारत सरकार ने 30 जून 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में ₹1.1 लाख करोड़ से अधिक के रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी। यह कदम सिर्फ सेनाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में नहीं है, बल्कि यह भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए भी रणनीतिक पहल है।
🔎 प्रमुख प्रस्ताव और उनके महत्व:
🚀 QRSAM (Quick Reaction Surface-to-Air Missile)
₹30,000 करोड़
- DRDO द्वारा विकसित यह मिसाइल प्रणाली 30 किमी की दूरी तक हवाई खतरों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम होगी।
- इसका उपयोग सेना के एयर डिफेंस सिस्टम को तेज प्रतिक्रिया और मोबाइल कवच देने के लिए किया जाएगा।
✈️ I-STAR जासूसी विमान (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, Reconnaissance)
₹10,000 करोड़
- भारतीय वायुसेना को 3 ऐसे विमान मिलेंगे जो स्ट्रैटेजिक इंटेलिजेंस और निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।
- पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर रियल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग में उपयोगी।
🛩️ 84 सुखोई‑30MKI विमानों का अपग्रेड
₹25,000 करोड़ (अनुमानित)
- HAL इन विमानों को नई सेंसर, रडार, एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियों से अपग्रेड करेगा।
- इनसे भारत की वायु शक्ति और लंबी दूरी की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।
⚓ DRDO द्वारा विकसित 'प्रेशर-आधारित Sea Mines'
- ये आधुनिक समुद्री बारूदी सुरंगें दुश्मन के युद्धपोतों और पनडुब्बियों को टारगेट कर सकती हैं।
- विशेष रूप से चेन्नई, अंडमान-निकोबार और पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में इस्तेमाल हेतु प्रस्तावित।
🤖 Underwater Autonomous Vehicles (AUVs)
- नौसेना को गुप्त निगरानी और 'mine sweeping' जैसे मिशनों के लिए ये नवीनतम अंडरवाटर ड्रोन मिलेंगे।
- भारत की अंडरवाटर सैन्य क्षमता में यह एक क्रांतिकारी बदलाव माना जा रहा है।
🇮🇳 रक्षा आत्मनिर्भरता का संदेश:
- सभी प्रस्तावों में 75% से अधिक स्वदेशी योगदान सुनिश्चित किया गया है --- DRDO, HAL, BEL, L&T जैसी कंपनियाँ प्रमुख भूमिका में हैं।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक को 'Atmanirbhar Bharat in Defence' का सबसे बड़ा कदम करार दिया।
💼 रोजगार और रक्षा-उद्योग प्रभाव:
- अनुमान है कि इन प्रोजेक्ट्स के चलते 3 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियाँ सृजित होंगी।
- भारत की रक्षा-उद्योग क्षमता में वैश्विक निवेशकों की रुचि बढ़ेगी, जिससे निर्यात में भी तेज़ी आएगी।
🔚 निष्कर्ष:
यह ₹1 लाख करोड़ का रक्षा आधुनिकीकरण न केवल सैन्य रणनीति को मज़बूती देगा, बल्कि भारत को विश्व रक्षा उत्पादकों की अग्रणी सूची में खड़ा करेगा। यह मिशन "आत्मनिर्भर भारत" की असली शक्ति को दुनिया के सामने रखने वाला कदम है।
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