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Image : Indian express |
लखनऊ के चौक थाना अंतर्गत अशरफाबाद इलाके से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। 30 जून की सुबह, कपड़ा व्यापारी शोभित रस्तोगी (48), उनकी पत्नी शुचिता (45) और उनकी 16 वर्षीय बेटी ख्याति ने कथित तौर पर जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। तीनों को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें डेड ऑन अराइवल घोषित किया गया। नोट, सल्फास की बोतल और एक खुली कोल्ड ड्रिंक की बोतल बरामद की है, जो जहरीले पदार्थ से संदिग्ध हैं।
📌 प्रमुख कारण:
- • कर्ज और आर्थिक तंगी: शोभित रस्तोगी राजाजीपुरम में कपड़ों की दुकान चलाते थे, लेकिन व्यापार घाटे के कारण उन्होंने बैंक और साहूकारों से लगभग ₹70 लाख का कर्ज ले रखा था। किश्तों की अदायगी न कर पाने से घर-परिवार पर भारी आर्थिक तनाव था।
- • रिकवरी एजेंटों का दबाव: पड़ोसियों ने बताया कि बैंक वाले और रिकवरी एजेंट दुकान व घर पर दबाव बनाते थे। इनमें से कई बार अभद्र व्यवहार भी दर्ज हुआ।
- • पारिवारिक उत्पीड़न: सुसाइड नोट में शुचिता ने अपने मायके पक्ष पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिससे मानसिक तनाव और गहराया।
- • पारिवारिक योजना बनाकर लिया निर्णय: शोभित ने सुसाइड से पहले अपने बड़े भाई को घर की चाबी सौंपी और पौधों में पानी देने को कहा था, जिससे जाहिर होता है कि उन्होंने घटना से पूर्व योजना बनाई थी।
- • ख्याति का अंतिम कॉल: घटना के समय ख्याति ने अपनी ताई को फ़ोन कर अपनी हालत बताई। उस कॉल और सुसाइड नोट की कॉल रिकॉर्डिंग, दोनों ने घटना की पुष्टि की।
📝 सुसाइड नोट की प्रमुख पंक्तियाँ:
"हम कर्ज से परेशान हैं... बैंक से लोन लिया था, जिसे चुका नहीं पा रहे... हमारे पास जान देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।"
"शुचिता" ने अपनी तरफ से मायके पक्ष के उत्पीड़न की बात नोट में दर्ज की, जिससे परिवार मानसिक दबाव में था।
⚠️ फोरेंसिक और पुलिस जांच:
पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है और फोरेंसिक टीम ने सुसाइड नोट, टूटी चूड़ियाँ, सल्फास की शीशी तथा कोल्ड ड्रिंक की बोतल बरामद की है।
इस मामले में आत्महत्या की आशंका जताई है, लेकिन अधिक जांच आवश्यक मानी जा रही है।
🌍 सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण:
यह घटना केवल आर्थिक तंगी का मामला नहीं है, बल्कि पारिवारिक उत्पीड़न व मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर चेतावनी है।
पड़ोसियों ने बताया कि शोभित सामाजिक रूप से मिलनसार थे और संकट के बावजूद मदद के लिए सामने नहीं आए।
ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं व कर्ज व्यवस्थापन में समर्थन की बेहद जरूरत है।
🔚 निष्कर्ष:
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक तंगी, कर्ज का बोझ और पारिवारिक उत्पीड़न मिलकर किस तरह व्यक्ति और परिवार वा मानवता पर त्रासदी ला सकते हैं। समाज को चाहिए कि सहायता प्रणालियों को मजबूत किया जाए---विशेषकर उन लोगों के लिए जो कर्ज और दबाव से मानसिक रूप से अवसादग्रस्त होती हैं। निरंतर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, राहत कार्यक्रम और कर्ज पुनर्गठन नीतियाँ लागू कर ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है।
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