![]() |
प्रतीकात्मक चित्र - The Wide Angle |
🔍 विषय-वस्तु :
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी लोकप्रिय सामाजिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में एक अहम बदलाव करते हुए अब विवाह स्थल पर वर-वधू की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। इस कदम का उद्देश्य योजनागत पारदर्शिता बढ़ाना, फर्जीवाड़े को रोकना और वास्तविक पात्र लाभार्थियों को योजना का लाभ सुनिश्चित करना है।
इस योजना के तहत अब लाभ लेने वाले जोड़ों को ₹1 लाख तक के वित्तीय सहायता और सरकारी उपहार के लिए अपने आधार या किसी बायोमेट्रिक सिस्टम से स्थल पर उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। अधिकारियों का मानना है कि इससे न सिर्फ वास्तविक हकदारों की पहचान में मदद मिलेगी, बल्कि सरकारी योजनाओं पर उठ रहे सवालों की निवारण प्रक्रिया भी अधिक तेज़ और प्रभावी हो सकेगी।
✳ इस निर्णय के पीछे प्रमुख उद्देश्य:
- फर्जी दस्तावेज़ों और बिचौलियों के हस्तक्षेप को समाप्त करना
- योजना को वास्तविक लाभार्थियों तक सीमित रखना
- शिकायतों का निवारण करने में प्रशासन को सहूलियत देना
- योजना के वितरण को पारदर्शी और डिजिटल रूप से ट्रैक करने योग्य बनाना
सरकार अब गिफ्ट की गुणवत्ता पर भी ध्यान दे रही है, जिससे जोड़ों को विवाह उपरांत दिए गए सामानों से वास्तविक मदद मिल सके। इसके अलावा, ऑनलाइन पंजीकरण और पूर्व जानकारी देने की प्रणाली को भी दुरुस्त किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लाभार्थी भी इसका समुचित लाभ ले सकें।
📣 भविष्य में:
राज्य सरकार की योजना है कि सभी जिलों में इस बदलाव को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए, और इसके लिए जन-जागरूकता अभियान, स्थानीय निकायों के माध्यम से प्रशिक्षण, और डिजिटल आउटरीच कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। माना जा रहा है कि इससे राज्य की अन्य योजनाओं जैसे पेंशन, कन्या सुमंगला योजना आदि में भी पारदर्शिता के नए मानक स्थापित किए जाएंगे।
इस परिवर्तन को सरकारी नीतियों में डिजिटलीकरण और डेटा-आधारित मूल्यांकन की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। सामाजिक न्याय के क्षेत्र में यह एक नई संरचनात्मक सोच को जन्म दे सकता है---जहां लाभार्थी की उपस्थिति सिर्फ कागज़ पर नहीं, सिस्टम में भी दर्ज हो।
0 टिप्पणियाँ
The Wide Angle: आपकी भरोसेमंद हिंदी न्यूज़ और जानकारी स्रोत"