भूमिका
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गाँव में जून 2025 में घटी घटना ने भारतीय समाज में गहरे पैठे जातिगत भेदभाव और धार्मिक असहिष्णुता की कड़वी सच्चाई को फिर से उजागर किया। कथावाचकों, मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव, के साथ हुई बर्बरता न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन थी, बल्कि यह धर्म और परंपरा की आड़ में की गई क्रूरता का प्रतीक भी थी। The Wide Angle इसे सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, धार्मिक स्वायत्तता, और भारतीय संविधान की गरिमा पर हमला मानता है।
घटनाक्रम की तारीख़वार टाइमलाइन
- • कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत सिंह यादव भागवत कथा वाचन के लिए दांदरपुर गाँव पहुँचे। कथा का आयोजन 21 से 27 जून तक प्रस्तावित था।
- • कथा शुरू होने के दौरान, 'कलश यात्रा' के समय कुछ स्थानीय लोगों ने कथावाचकों से उनकी जाति के बारे में पूछताछ शुरू की।
- • जब मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव ने अपनी जाति "यादव" बताई, तो कुछ लोगों ने उन पर ब्राह्मण बनकर कथा सुनाने का आरोप लगाया। इसके बाद हिंसक व्यवहार शुरू हुआ।
- • भीड़ ने मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव के साथ अमानवीय व्यवहार किया। उनके बाल काटे गए, मुकुट मणि का सिर मुंडवाया गया, और "शुद्धिकरण" के नाम पर मूत्र छिड़का गया।
- • उन्हें पैरों पर नाक रगड़वाने के लिए मजबूर किया गया। उनके कपड़े फाड़े गए और मुकुट मणि का हारमोनियम, जो उनकी आजीविका का साधन था, तोड़ दिया गया।
- • कथित तौर पर उन्हें बांधकर रखा गया, शारीरिक यातना दी गई, और कथावाचन के लिए दी गई राशि (लगभग ₹25,000–30,000) छीन ली गई।
- • इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे व्यापक आक्रोश फैला।
- • वायरल वीडियो और शिकायत के आधार पर, इटावा पुलिस ने 23 जून को कार्रवाई शुरू की।
- • चार आरोपियों—आशीष तिवारी, उत्तम अवस्थी, निक्की अवस्थी, और मनु दुबे—को गिरफ्तार किया गया।
- • पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की अगुआई में एक टीम गठित की और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।
- • समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस घटना की निंदा की और इसे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने पीड़ितों को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में सम्मानित किया, प्रत्येक को ₹21,000 निजी तौर पर और पार्टी की ओर से ₹51,000 की सहायता दी।
- • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 25 जून को इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
- • इस बीच, एक महिला रेनू तिवारी और उनके पति जयप्रकाश तिवारी ने कथावाचकों पर छेड़खानी और फर्जी आधार कार्ड से ब्राह्मण बनकर कथा पढ़ने का आरोप लगाया।
- • ब्राह्मण महासभा के राज्य अध्यक्ष अरुण दुबे ने कथावाचक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन साथ ही हिंसा की निंदा भी की।
- • पुलिस ने जांच में पाया कि कथावाचक के आधार कार्ड में अलग-अलग नाम और जाति के विवरण थे, जिससे मामला जटिल हो गया।
- • समाजवादी पार्टी और यादव महासभा ने पीड़ितों का समर्थन किया, जबकि ब्राह्मण महासभा ने कथावाचक के कथित छल पर आपत्ति जताई।
विरोधाभासी आरोपों का विश्लेषण
रेनू तिवारी द्वारा छेड़छाड़ का दावा एवं फर्जी आधार कार्ड विवाद
वायरल वीडियो, जो मारपीट और मुंडन के समय का है, उसके ऑडियो में न तो रेनू तिवारी का जिक्र है और न ही कोई संदिग्ध हरकत या आधार कार्ड को लेकर कोई चर्चा सुनाई देती है। यह दावा मुख्य रूप से समाचार रिपोर्टों और कुछ एक्स पोस्ट्स में सामने आया है, जो ब्राह्मण महासभा और कुछ स्थानीय लोगों के बयानों पर आधारित है।
आरोपियों के समर्थन में यह "डैमेज कंट्रोल" कथा गढ़ी गई प्रतीत होती है, ताकि मामले की गंभीरता को कम किया जा सके और जनता को भ्रमित किया जाए। कथित फर्जी आधार कार्ड विवाद भी उसी रणनीति का हिस्सा लगता है। मुकुट मणि यादव का डिजिटल और सामाजिक ट्रैक रिकॉर्ड उनकी घोषित पहचान (यादव) से मेल खाता है, जिससे "छल" या "भेष बदलने" के आरोप निराधार प्रतीत होते हैं।
The Wide Angle की राय
यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि भारत का सामाजिक ढांचा अभी भी पुरातन मान्यताओं और भेदभाव से जकड़ा हुआ है। कथावाचकों के साथ हुई हिंसा न केवल एक आपराधिक कृत्य थी, बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक कट्टरता का प्रतीक है, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों को चुनौती देता है। रेनू तिवारी और उनके पति के आरोप, जो सबूतों के अभाव में कमजोर पड़ते हैं, इस मामले को भटकाने की कोशिश प्रतीत होते हैं।
The Wide Angle का मानना है कि इस घटना को एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए। हमें अपने समाज में समानता, सम्मान, और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। शिक्षा, जागरूकता, और सख्त कानूनी कार्रवाई के जरिए ही हम इस तरह की घटनाओं को रोक सकते हैं। यह समय है कि हम अपने संविधान के मूल्यों को न केवल कागजों पर, बल्कि व्यवहार में भी अपनाएँ।
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